तिरंगे का सम्मान जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है फटे-पुराने तिरंगे का निस्तारण करना, ऐसा नहीं होगा तो झंडा लोगों के पैरों के नीचे आ सकता है, जो तिरंगे का अपमान है, जो तिरंगा सही सलामत है, उसका सम्मान और जो फट गया है, उसका निस्तारण करना हमारा कर्तव्य है, किसी भी झंडे को फटी-पुरानी स्थिति में नहीं छोड़ना चाहिए, बल्कि उसका सम्मान पूर्वक निस्तारण करना चाहिए।

हम यह देखते हैं कि सड़कों पर कुछ फटे तो कुछ सही सलामत झंडे गिरे रहते हैं, लेकिन कोई भी उन्हें नहीं उठाता, कई बार हमरे देश का प्रतीक यह तिरंगा पैर की नीचे कुचला जाता है, अधिकतर लोग इन झंड़ों को उठाने में हिचकते हैं।
सब लोग ये अच्छे से जानते हैं कि राष्ट्रध्वज (तिंरगा) कैसे लहराया जाता है, लेकिन झंडा फहरा देने के बाद कई लोग यह नहीं जानते की फटे पुराने झंडे का नीस्तारण कैसे किया जाए।
फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002
पार्ट-2, सेक्शन 1- 2.2 (xiii): अगर झंडा फटी-पुरानी अवस्था में है, तो किसी निजी जगह पर इसका निस्तारण कर देना चाहिए। निस्तारण के लिए तिरंगे की मर्यादा का ध्यान रखते हुए दफनाने या फिर किसी और तरीके को अपनाया जा सकता है।
फट गए झंडे के निस्तारण का सबसे सही तरीका है उसे जलाना, झंडे को दफनाया भी जा सकता है, लेकिन अक्सर दफनाने में जब कभी खुदाई के बाद मिट्टी उपर आती है, तो फिर झंडा ऊपर आ सकता है और फिर लोगों के पैरों में कुचला जा सकता है।
फटे-पुराने झंडे को जलाते वक्त इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह पूरा जल जाए, न कि आधा जले और कुछ हिस्सा बच जाए, साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आप किसी निजी स्थान पर ही झंडे को जला रहे हों।
ध्वज संहिता की धारा पांच के उपबंध 3(25) में ध्वज को पूरी तरह जलाने या ध्वज के गौरव व गरिमा के अनुसार समूचत उपाय से पूरी तरह नष्ट या निपटान करने की बात कही गई है. इसके मुताबिक एकांत में जहां कोई और ना देखे वहां पवित्र भूमि पर पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ जीर्ण ध्वज को लकड़ी के बक्से में रखकर गाड़ देना चाहिए।
ध्वज को कायदे से तह करना चाहिए, उसका सही तरीका है कि केसरिया पर हरे रंग की पट्टी की तह ऐसे बनाई जाए कि सफेद रंग पर बना चक्र सबसे ऊपर दिखाई दे. जलाने का भी विकल्प नागरिकों के पास है. वो एकांत में जीर्ण ध्वज को पूरे सम्मान के साथ पूरी तरह जला दें. उसकी राख को या तो जमीन में दबा दें या किसी पवित्र नदी की धारा में बहा दे।
ऐसे तो झंडे को आग लगाना तिरंगे का अपमान है, लेकिन फटे-पुराने झंडे को जलाकर उसे सैल्यूट करना तिरंगे की मर्यादा का ध्यान रखते हुए उसका उचित निस्तारण करना है।
तिरंगे को जलाने के बाद दो मिनिट का मौन रखना ज़रूरी है।
फटा पुराना तिरंगा फहराना चाहिए ?
तिरंगा फहराने के भी अपने नियम और कायदे हैं. जैसे देश के प्रतीकों के सम्मान की रक्षा के लिए कानून हैं ठीक वैसे ही राष्ट्रध्वज के लिए संहिता है, अगर इसका पालन नहीं किया जाए तो यह तिरेंगे का अपमान माना जाता है, और इसके लिए सजा का प्रावधान है, उसमें बताया गया है कि तिरंगा अगर सही स्थिती में न हो तो उसे नहीं फहराना चाहिए।
ध्वज संहिता के भाग दो की धारा दो के अनुच्छेद दो के उपबंध 22(ii) के बताया गया है कि क्षतिग्रस्त, कटे फटे या फिर उड़े रंगों वाला अस्त व्यस्त ध्वज नहीं फहराना चाहिए. संहिता में आगे 22 (xiii) के मुताबिक जब राष्ट्रध्वज का कलेवर जीर्ण हो जाए यानी क्षतिग्रस्त हो या बदरंग हो जाए या फिर कट फट जाए तो उसे एकांत में पूर्ण सम्मान के साथ जलाकर या दफना कर पूरी तरह से नष्ट कर दिया जाए ताकि राष्ट्र ध्वज की गरिमा और महिमा बनी रहे।
तिरंगे के अपमान पर सजा का प्रावधान
ध्वज संहिता के अनुसार ही तिरंगे को फहराना चाहिए या नष्ट करना चाहिए. ध्वज संहिता के धारा दो में कहा गया है कि कोई व्यक्ति सार्वजनिक जगह या ऐसी जगह जहां किसी की नजर पड़ती हो वहां राष्ट्रध्वज को अपमानित करना, यानी तिरंगे या उसके किसी हिस्से को फाड़ना, जलाना, कुचलना, दूषित या विकृत करना या विरूपित करना दंडनीय अपराध है।
इसके लिए 3 साल की जेल और अदालत की ओर से तय आर्थिक जुर्माने या फिर दोनों से दंडित किया जा सकता है।