शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) को 4 अगस्त 2009 को संसद द्वारा बनाया गया था, इसमें संविधान के अनुच्छेद 21 (ए) के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान हैं।
जिसमें निजी स्कूलों को 25% गरीब बच्चों को निःशुल्क पढ़ाना अनिवार्य है।
आरटीई के तहत निजी स्कूलों को गरीब बच्चों की फीस प्रतिवर्ष सरकार द्वारा दिया जाता हैं।
5000 हजार रुपये तक अभिभावक को बच्चे की ड्रैस, कोर्स, कापी किताब एवं अन्य खर्च के लिए भी सरकार द्वारा दिया जाता हैं।
साथ ही, इसमें कोई भी स्कूल बच्चों के एडमिशन शुल्क या कैपिटेशन शुल्क भी नहीं ले सकता हैं, इसके अलावा बच्चे या माता-पिता का इंटरव्यू लेने का भी प्रावधान नहीं है।
प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने तक किसी भी बच्चे को स्कूल आने से न ही रोका जा सकता व निष्कासित भी नहीं किया जा सकता हैं।